Khatu Shyam Kund: खाटू श्याम कुंड जहां मिला था बाबा का शीश

Khatu Shyam Kund भारत में एक ऐसा पवित्र स्थल है जो अपने रहस्यमई कुंड के लिए प्रसिद्ध है। और इस रहस्य को आज तक कोई नहीं सुलझा सका, यह मंदिर देश और विदेश में अपनी अनोखी पहचान बनाए हुए हैं। और यहां मौजूद कुंड हर समय पानी से भरा रहता है यह विशेष कुंड श्रद्धालुओं को साल भर आकर्षित करता है जो यहां स्नान करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं बर्बरीक कुंड जिसे श्याम कुंड के नाम से भी जाना जाता है। यह कुंड राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में खाटू Khatu Shyam Temple का एक विभिन्न हिस्सा है। खाटू श्याम मंदिर में स्थित यह पावन कुंड अपने भीतर कई गहरे रहस्य को समेटे हुए हैं जो श्रद्धालुओं की भक्ति और आस्था का केंद्र बना हुआ है।

Khatu Shyam Kund पर श्रद्धालुओं का आना केवल स्नान के लिए ही आना नहीं है बल्कि आत्मिक शांति और श्याम बाबा के आशीर्वाद और खाटू श्याम जी की पूजा का फल प्राप्त करने के लिए भी है। श्याम बाबा के इस प्रसिद्ध मंदिर से कई मान्यताएं और कहानी जुड़ी हुई है यहां स्थित यह कुंड अपनी उत्पत्ति को लेकर कहीं रहस्य कथाओं को अपने में समेटे हुए हैं ऐसा माना जाता है कि हजारों साल पहले जब इस स्थान पर केवल मिट्टी ही थी तब इस कुंड की नींव रखी गई थी।

Khatu Shyam Kund के स्थान पर प्रतिदिन एक गाय आती थी और उसके थन से दूध बहने लगता इस अद्भुत घटना को रोजाना देख आसपास के लोग उस स्थान पर खुदवाई का निर्णय लिया जब खुदवाई शुरू हुई और लगभग 30 फीट गहरे पहुंचे तो उन्हें एक रहस्यमय शीश मिलता है। और आश्चर्य की बात यह थी कि जिस स्थान से बर्बरीक का शीश मिला वहीं से पानी का तेज प्रवाह शुरू हो गया। और इसी स्थान पर एक रूपवती नामक नदी भी बहती थी और यही स्थान आगे चलकर श्याम कुंड के नाम से प्रसिद्ध हो गया हर साल इस पवित्र स्थल पर मेले के दौरान आने वाले श्रद्धालु सबसे पहले इस श्याम कुंड में स्नान करते हैं और उसके बाद श्याम बाबा के दर्शन के लिए जाते हैं।

खाटू श्याम जी कथा के अनुसार महाभारत की एक महान योद्धा माने जाते थे। उनके पिता घटोत्कच और माता अहिल्यावती थी खाटू श्याम जी को जन्म से ही उनकी मां ने उन्हें यह सिखाया है कि युद्ध में हमेशा कमजोर पक्ष का साथ देना चाहिए बर्बरीक ने इस सिद्धांत को जीवन भर अपनाया और हर युद्ध में इसे ध्यान में रखते हुए भाग लिया। बर्बरीक भगवान शिव की कठोर तपस्या करने के बाद उन्हें विशेष तीन बाण प्राप्त हुए थे। तभी उनका नाम तीन बाण के धारी हुआ और इसी से वह अधिक शक्तिशाली हो गए उनकी शक्तियों का प्रभाव इतना जबरदस्त था कि वह महाभारत जैसे महान युद्ध को पलक झपकते ही समाप्त कर सकते थे। लेकिन अपनी माता से किया वचन के कारण भगवान श्री कृष्ण इस बात को लेकर काफी चिंतित थे।

Khatu Shyam Kund – एक पवित्र स्थान की अद्भुत कहानी

श्री कृष्ण ने धर्म की रक्षा और धर्म का नाश करने के लिए बर्बरीक का शीश मांग लिया। बर्बरीक, जो अपनी महान शक्तियों और अद्वितीय त्याग के लिए प्रसिद्ध थे, बर्बरीक ने बिना किसी संकोच के अपना शीश अर्पित कर दिया। इसी कारण उन्हें “शीश का दानी” कहा जाने लगा। इस त्याग के बाद, बर्बरीक ने महाभारत युद्ध को देखने की इच्छा प्रकट की। श्री कृष्ण ने प्रसन्न होकर उनके शीश को एक ऊंचे वृक्ष पर स्थापित कर दिया जिससे उन्होंने पूरे युद्ध का साक्षात्कार किया

युद्ध समाप्ति के बाद श्री कृष्ण ने बर्बरीक के शीश को रूपवती नदी में प्रवाहित कर दिया और वरदान दिया कि खाटू नगरी में उन्हें श्याम नाम से पूजा जाएगा। कुछ समय बाद यह शीश खाटू नगरी की पवित्र भूमि पर मिट्टी में दबा हुआ प्राप्त हुआ जब इसे बाहर निकल गया तब से उस स्थान को Khatu Shyam Kund के नाम से जाना जाने लगा।

Shyam Kund के संबंध में कई मान्यताएं प्रचलित है ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र कुंड में स्नान करने से व्यक्ति के अनेक पाप धुल जाते हैं यदि कोई श्रद्धालु सच्चे और पवित्र मन से इस कुंड में डुबकी लगाता है तो उसे एक नया जीवन प्राप्त होता है।

श्याम कुंड की मान्यता यह है कि किसी व्यक्ति की इच्छा पूरी नहीं हो रही है तो वह बाबा के इस कुंड में स्नान करने से बाबा उसकी कठिनाइयों को दूर करते हैं। और उसे सहारा देते हैं इस कुंड में स्नान से केवल शरीर ही नहीं बल्कि मन की भी अशुद्धियां समाप्त हो जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो स्त्री संतान की कामना करती है और इस श्याम कुं कुंड में स्नान करती है तो उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है

Khatu Shyam Temple Rajasthan

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